गिरफ्तार करने दूसरे जिले में गई पुलिस, लाश बॉर्डर पर छोड़ दी 

त्रिलोचन भट्ट

त्तराखंड पुलिस का क्रूर और अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है। किसी चोरी के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने पुलिस अपनी सीमा को लांघकर दूसरे जिले में धमक गई, बिना वहां की पुलिस को सूचित किये। लेकिन, असहनीय पिटाई से जब उसकी मौत हो गई तो परिजनों को बुलाकर लाश जिले के बॉर्डर पर ही छोड़ दी, यह कहकर कि हमारी सीमा यहीं तक है। आरोप है कि न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले पुलिस उसे इतना पीट चुकी थी कि वह चलने-फिरने की स्थिति में भी नहीं था। बावजूद इसके फर्जी मेडिकल बनाया गया और उसे जिला जेल भेज दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई। मौत के बाद भी बदमाशियां थमी नहीं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्वाभाविक मौत दर्ज की गई। सीपीएम के नेतृत्व में इस लड़ाई को लड़ रहे संगठन के इस तरह के आरोप लगा रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।

मामला कोतवाली ऋषिकेश का है। घटना बीते 22 जून की बताई जा रही है। हुआ ये कि कोतवाली ऋषिकेश, जिला देहरादून में कथित रूप से चोरी का एक मुकदमा दर्ज हुआ। आरोप लगाया गया था ऋषिकेश शहर से लगते टिहरी जिले के ढालवाला में किराये के मकान पर रहने वाले रणबीर सिंह, पुत्र सरोपसिंह पर। इस मुकदमें को रणबीर सिंह को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रही भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने फर्जी करार दिया है। रणबीर सिंह विश्वनाथ बस सेवा का कंडक्टर बताया जाता था। उसका मूल गांव टिहरी जिले की घनसाली ब्लॉक का मन्धार गांव है।

राज्य सचिवालय पर रणबीर की हिरासत में मौत के खिलाफ प्रदर्शन किया गया

आरोप है कि 22 जून को शाम करीब 5ः30 बजे कोतवाली ऋषिकेश देहरादून पुलिस रणबीरसिंह के ढालवाला किराये के घर पर पहुंची। भद्दी-भद्दी गालियां देकर उसे घसीट कर ले गये। रणबीर की पत्नी और परिजनों के बार-बार गुजारिश करने के बावजूद वे गालियां देते रहे और रणबीर को अपने साथ ले गये। यह भी नहीं बताया कि रणबीर का कसूर क्या है और उसे किस थाने या चौकी ले जाया जा रहा है। रणबीर की पत्नी आसपास की चौकियांे में गई, लेकिन पता नहीं चला। अगले दिन यानि 23 जून लगभग 2 बजे रणबीरसिंह की पत्नी रीतादेवी कोतवाली ऋषिकेश गई। रीतादेवी के अनुसार तब तक उसके पति की पुलिस बुरी तरह पिटाई कर चुकी थी। इसके बाद पुलिस ने उसे जिला जेल सुद्दोवाला भेज दिया।

25 जून को रीतादेवी जब अपने पति को मिलने जिला कारागार गई। उसका कहना था कि उसके पति की हालात नाजुक थी। वह चल फिर नहीं पा रहा था। शरीर पर असहनीय दर्द बता रहा था। कह रहा था कि उसे जेल में नींद की गोलियां दी जा रही हैं, उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसकी जान खतरे में है। रीतादेवी के लौटने के कुछ घंटे बाद जेल प्रशासन ने उसकी मौत की खबर भेज दी। कहा गया कि तबीयत बिगड़ने के कारण उसे दून अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। हालांकि आरोप है कि मौत हो जाने के बाद उसे खानापूर्ति के लिए दून अस्पताल लाया गया। रणबीर का पोस्टमार्टम कोरोनेशन हॉस्पिटल में करवाया गया। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के लिए भी रीतादेवी को दो चक्कर लगवाये गये।

इस मामले को लेकर 28 जून को सीपीएम और अन्य कई संगठनों ने सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस मौके पर वक्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने रणबीर की कोतवाली ऋषिकेश में बुरी तरह से पिटाई की थी। लेकिन सरकारी हॉस्पिटल से फर्जी मेडिकल बनवाया और उसे जिला जेल भिजवा दिया। मौत होने के बाद फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनवाने का भी आरोपल लगाया गया। इस मामले को रफा-दफा करने के प्रयास का आरोप भी वक्ताओं ने लगाया। इस मामले की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करवाने पीड़ित के परिजनों को भरण पोषण के लिए समुचित मुआवजा दिलवाने की मांग भी की गई। इस प्रदर्शन में मृतक की पत्नी भी अपने बच्चों के साथ आई। प्रदर्शन में सीपीएम, आयूपी, यूकेडी, सीटू, एटक, जनवादी महिला समिति, एसएफआई, नव चेतना समिति, उत्तराखंड आन्दोलनकारी परिषद, किसान सभा, एआईएलयू , भीम आर्मी, बीजीवीएस आदि संगठनों के लोग शामिल थे। उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड इंसानियत मंच और सीपीआई एमएल ने भी इस आंदोलन में शामिल होने की बात कही है।

विभिन्न संगठनों से सीपीएम के नेतृत्व में डीएम देहरादून से मुलाकात की और मृतक के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की

आंदोलनकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम, पुलिस रिपोर्ट, मेडिकल रिपोर्ट और जेल अधीक्षक अपनी-अपनी रिपोर्ट में एक सुर बोल रहे हैं कि रणबीर को पुरानी बीमारी थी, वह शराब पीता था। इसे एक सोची-समझी चाल बताया जा रहा है, ताकि पुलिस को इस क्रूर और अमानवीय कृत्य से बचाया जा सके। बताया जाता है कि रणबीरसिंह को गिरफ्तार करने दूसरे जिले में गई पुलिस ने अन्तेष्टि के लिए शव परिजनों को चन्द्रभागा पुल पर सौपा, यह कर कि उनका कार्यक्षेत्र यहीं तक है।
इस संबंध में आंदोलनकारी संगठनों की ओर से सरकार को एक ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें रणबीर सिंह की कस्टडी में हुई संदिग्ध मृत्यु की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच करवाने, जांच के दायरे में कोतवाली ऋषिकेश पुलिस, सीओ ऋषिकेश, मेडिकल रिपोर्ट बनाने वाले डॉक्टर, वरिष्ठ जेल अधीक्षक जिला कारागार और उनसे जुड़े स्टाफ, दून अस्पताल के डॉक्टर और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को भी शामिल करने की मांग की गई है। इसके अलावा मृतक के परिजनों की जानमाल की सुरक्षा करने और उसकी विधवा तथा तीन बच्चों के भरण पोषण की व्यवस्था करने की भी मांग की गई है।

31 जुलाई को एक प्रतिनिधिमंडल इस मामले में देहरादून की डीएम सोनिका से मिला और रणबीर सिंह के परिजनों सहित 12 सदस्यों की मुख्यमंत्री से बात करवाने की मांग की। प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि कई राज्यों में न्यायिक अभिरक्षा में मौत पर मृतक के परिजनों को 5 से 10 लाख रुपये मुआवजो देने का प्रावधान है। इसलिए रणबीरसिंह की पत्नी और बच्चों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। प्रतिनिधि मंडल में नवनीत गुंसाई, प्रमिला रावत, अनन्त आकाश,दीप्ति रावत, राजेन्द्र पुरोहित, नितिन मलेठा, सुरेश कुमार, प्रभात डंडरियाल, लताफत हुसैन आदि शामिल थे।

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