सुरंग से अच्छी खबर आने का इंतजार बढ़ा

त्रिलोचन भट्ट

 

ब से करीब 48 घंटे पहले यानी 15 नवम्बर की दोपहर को टनल रेस्क्यू की जो लगभग आखिरी आधिकारिक अपडेट आई थी, उससे यह तो साफ हो ही गया था कि अब तक जो कुछ किया जा रहा था, उसमें इतनी गंभीरता तो नहीं थी कि ऑपरेशन सफल हो जाता। 15 नवंबर की दोपहर को एयरफोर्स के तीन हरक्यूलस विमानों से अमेरिकन ऑगर ड्रिलिंग मशीन चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर पहुंचने की सूचना आधिकारिक रूप से दी गई थी। कहा गया था कि यह मशीन एक घंटे में 5 मीटर मिट्टी हटा सकती है। तब तक टनल में करीब 40 मीटर मिट्टी होने की बात कही गई थी। अनुमान था कि देर रात तक मशीन असेंबल होने के बाद काम शुरू होगा और 12 घंटे में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा करके फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। इस अनुमान के अनुसार 16 नवंबर की दोपहर या फिर शाम तक ऑपरेशन पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन, उसके बाद से कोई आधिकारिक अपडेट नहीं आया है।

अब मौके से जो कुछ भी सूचनाएं बाहर आ रही हैं, उनसे यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह ऑपरेशन कब तक पूरा हो जाएगा और कब तक वहां फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकाला जा सकेगा। अब मजदूरों को फंसे 130 घंटे होने जा रहे हैं। कुछ खबरों में कहा गया है कि सुबह तक ऑगर मशीन से 30 मीटर ड्रिलिंग करके लोह के पाइप डाले गये हैं, लेकिन कुछ खबरों में कहा गया है कि सुबह तक केवल 12 मीटर पाइप ही डाली जा सकी थी। शुरू मंे बचाव टीम और टनल में फंसे हुए मजदूरों के बीच 40 मीटर मलबा होने की बात कही गई थी, लेकिन नई सूचना के अनुसार मलबा 70 मीटर तक है। जाहिर है यह सब भी अनुमान पर ही आधारित है। कोई नहीं जानता कि मलबा कितना है।

केन्द्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री वीके सिंह ने मौके पर जाकर रेस्क्यू ऑपरेशने का जायजा लिया।

इस बीच केन्द्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री वीके सिंह ने मौके का निरीक्षण किया है और परंपरा के अनुसार अधिकारियों को सख्त निर्देश भी दे दिये हैं। घटना 12 नवंबर की सुबह हो गई थी। राज्य के मुख्यमंत्री उस दिन दीपावली मनाने में व्यस्त थे। पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलने, आरएसएस ऑफिस और फिर पार्टी ऑफिस में दीपावली कार्यक्रम के हिस्सा लेने की व्यस्तता के चलते उस दिन उन्हें इतनी फुर्सत नहीं मिली कि टनल में फंसे मजदूरों के बचाव को गंभीरता से लिया जाए। लेकिन, अगले दिन यानी 13 नवंबर को मुख्यमंत्री मौके पर पहुंचे। हेलमेट लगाकर सुरंग के कुछ अंदर तक गये। निर्विकार भाव से फोटो खिंचवाये। बाहर आकर अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये। वहां से उड़कर सीधे देहरादून पहुंचे। सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। और साफ कहा कि सरकार की प्राथमिकता टनल में फंस लोगों को सुरक्षित निकालना है। अगले दिन अखबारों में जोरदार खबर छपी कि मुख्यमंत्री से रेस्क्यू ऑपरेशन का मोर्चा संभाल लिया है।

यह कार्य पूरा करने के बाद मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश चले गये। जहां विधानसभा चुनाव हो रहा है। हालांकि भाजपा की स्टार प्रचारकों की सूची में पुष्कर सिंह धामी का नाम नहीं था, फिर भी वे गये और वहां भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे एक उत्तराखंडी के रहने वाले एक उम्मीदवार के लिए प्रचार किया। लौटकर 16 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर अधिकारियों की बैठक की और कहा कि उत्तराखंड में बन रही सभी सुरंगों की समीक्षा की जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार से लौटकर रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।

ताजा स्थिति की बात करें तो अभी तक किसी तरह का कोई अनुमान लगा पाना संभव नहीं है। दावा किया जा रहा था कि फंसे हुए लोगों से वॉकी-टॉकी से बात हो रही है, सभी सुरक्षित हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि उनसे पाइप के जरिये बात हो रही है। दो दिन पहले टनल में कुछ लोगों का स्वास्थ्य खराब होने की बात भी सामने आई थी। इनमें मुख्यरूप से सिरदर्द, उल्टियां होना और घबराहट होने की बात कही गई थी। आधिकारिक रूप से इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।

फेल होते गये प्लान
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में शुरू से लापरवाही देखी गई। मजदूरों को निकालने के लिए सबसे पहले टनल को ऊपर से ड्रिल करने की योजना बनाई गई। किसी तरह वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन का जुगाड़ किया गया, लेकिन ड्रिलिंग शुरू हुई तो भारी भरकम मलबा फिर से टनल में गिरने लगा। इसके बाद ऑगर मशीन के जरिये 900 मिमी व्यास के पाइप डालने का प्लान बनाये गया। लेकिन, इसके लिए जो ऑगर ड्रिलिंग मशीन मिली, वह सिर्फ दो मीटर तक ही ड्रिलिंग कर पाई। 15 नवंबर को अमेरिकन ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगवाई गई। यह मशीन एयरफोर्स के तीन हरक्यूलस विमानों के जरिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर पहुंचाई गई। वहां से ट्रकों से घटनास्थल पर ले जाई गई। इसके बाद मशीन असेंबल की गई और काम शुरू किया गया। कहा गया कि यह मशीन एक घंटे में 5 मीटर ड्रिल करेगी। इसके साथ चुनौती यह भी है कि यह ड्रिलिंग लूज मलबे में की जा रही है। मशीन के साथ ही पाइप का खाली हुई जगह पर पहुंचना जरूरी है। मशीन और पाइप में थोड़ा सा भी फर्क होते ही मशीन और पाइप के बीच मलबा जमा हो जाएगा और फिर से नई मुसीबत हो जाएगी। फिलहाल सिलक्यारा टनल से अच्छी खबर आने का हम सभी को इंतजार है।

मोर्चा संभालने के बाद एमपी में चुनाव प्रचार करने चले गए थे सी एम धामी

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *