डराती है केदारनाथ की यह भयंकर भीड़
त्रिलोचन भट्ट
उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट अगले छह महीने के लिए खोल दिये गये हैं। इन धामों में और खासकर केदारनाथ में कपाट खुलने के दौरान जो भीड़ नजर आई, उसे देखकर मन में एक सवाल उठा। मैं आपकेे सामने भी यह सवाल रखना चाहता हूं। आखिर हाल के वर्षों में क्या वास्तव में लोगों में भक्ति भावना इतनी प्रबल हो गई है? और दूसरा सवाल ये कि क्या पहले देश के लोग श्रद्धावान नहीं होते थे? इस वीडियो में मैं आंकड़ों के माध्यम से बताऊंगा कि केदारनाथ में आपदा के बाद और खासकर 2019 के बाद ऐसा क्या हुआ कि यहां आने वाले यात्रियों के संख्या कई गुणा बढ़ गई।
पिछले 15 सालों में केदारनाथ जाने वालों की संख्या कई गुणा बढ़ी है। 2009 में केदारनाथ की डोली के साथ गिने चुने लोग थे। डोली उठाने वाले लोग, रावल, कुछ पुजारी, आर्मी बैंड के कुछ सदस्य और बंदूक लिए एक पुलिस वाला। आप गिने तो बमुश्किल दो दर्जन के करीब लोग होंगे। और दूसरा वीडियो इस साल का है, डोली के साथ हजारों की संख्या में लोग हैं। मीडिया ने 29 हजार लोग बताये हैं, हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है वास्तविक संख्या इससे कई ज्यादा थी।
रुद्रप्रयाग में शिक्षक हैं गजेन्द्र रौतेला। पिछले 25 वर्षों से केदारनाथ के कपाट खुलने और बंद होने के दिन केदारनाथ जाते रहे हैं। वे कहते हैं कि 2009 में केदारनाथ की डोली के साथ बमुश्किल 20-25 लोग थे। वे खुद और तीन या चार लोग और थे, जिन्हें श्रद्धालु कहा जा सकता है, बाकी लोग मंदिर के कर्ता-धर्ता थे, कर्मचारी थे, पुजारी थे। गजेन्द्र रौतेला इस बार भी कपाट खुलने के समय केदारनाथ में थे। वे कहते हैं कि 15-16 साल में केदारनाथ कपाट खुलने के दौरान तीर्थयात्रियों के संख्या 25 से बढ़कर 50 हजार के आसपास पहुंच जाएगी, उन्होंने सोचा तक नहीं था।
अब जरा आंकड़ों से समझने की कोशिश करेंगे कि चारधाम यात्रा में और खासकर केदारनाथ में किस तरह से साल दर साल तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ती रही है। ये आंकड़े हमें ये भी बताते हैं कि जब भी अथाह जन सैलाब के केदारनाथ पहुंचने की स्थिति बनी, कुछ न कुछ ऐसा हुआ कि एक या दो साल के लिए यात्रा पर ब्रेक लग गया। केदारनाथ आपदा और कोविड संक्रमण को याद कीजिए।
2009 तक केदारनाथ पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या एक या दो लाख तक ही होती थी। उनमें ज्यादातर वास्तव में तीर्थयात्री होते थे। तब सोशल मीडिया न था तो यूट्यूबर और व्लॉगर होने का सवाल ही नहीं था। मौज-मस्ती वाले लोग भी नहीं होते थे या बहुत कम होते थे। ये वे लोग होते थे, जो हिमालय की संवेदनशीलता का भी ध्यान रखते थे और श्रद्धाभावना के साथ यात्रा करते थे।
किस तरह केदारनाथ जाने वालों की संख्या बढ़ती चली गई, एक नजर डालते हैं। 2011 में केदारनाथ पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 5 लाख 71 हजार थी और 2012 में 5 लाख 83 हजार। 2013 में 16 जून तक ही 3 लाख 12 हजार लोग पहुंच चुके थे। जून के अंत तक और फिर कपाट बंद होने तक यह संख्या पहली बार कई लाख में पहुंच जाती, लेकिन 16 जून 2013 की शाम और 17 जून की सुबह जो तबाही हुई, उसने यात्रा ठप कर दी। 2014 में केवल 48 हजार तीर्थयात्री ही केदारनाथ पहुंचे। 2015 से यह संख्या बढ़ने लगी। इस वर्ष 1 लाख 54 हजार तीर्थयात्री पहुंचे। 2016 में यह संख्या 3 लाख 9 हजार हो गई। 2017 में 4 लाख 32 हजार और 2018 में 7 लाख 32 हजार। यानी रिकॉर्ड टूट गया।
लेकिन कहते हैं ये तो ट्रेलर था, पिक्चर अभी बाकी थी।। 2019 में अचानक न जाने क्या हुआ कि 19 लाख 28 हजार लोग केदारनाथ पहुंच गये। आप ही बताइये क्या अचानक इस देश के लोगों में भक्ति भावना इतनी प्रबल हो गई कि एक साल में केदारनाथ पहुंचने वालों की संख्या में 12 लाख की बढ़ोत्तरी हो गई? इस बढ़ोत्तरी की वजह कहीं वो गुफा तो नहीं जिसमें मोदी ने कई कैमरों की मौजूदगी में एक रात बिताई थी?
2020 में यह संख्या बरकरार नहीं रह पाई। कोविड के कारण यात्रा रोक दी गई। नतीजा यह हुआ कि इस साल केवल 1 लाख 35 हजार श्रद्धालु लोग ही केदारनाथ पहुंच पाये। 2021 में भी कोविड का प्रकोप जारी रहा और 2 लाख 36 हजार श्रद्धालु पहुंचे। 2022 में फिर से भक्ति भाव हिलोरे मारने लगा। 15 लाख 63 हजार लोग केदारनाथ पहुंचे और पिछले साल यानी 2023 में यह संख्या 18 लाख 78 हजार थी। इस साल क्या होने वाला है, 10 मई की भीड़ स्पष्ट संकेत कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पहले दिन केदारनाथ में 32 हजार लोग पहुंचे थे, लेकिन बाद में इस आंकड़े मंे सुधार किया गया और पहले दिन पहुंचने वालों की संख्या 29 हजार कर दी गई। यह करीब-करीब वैसा ही है, जैसे वोटिंग परसेंटेज का मामला। पहले दिन कम होता है तो कुछ दिन बाद बढ़ जाता है। यहां 32 हजार ज्यादा लग रहा था तो अगले दिन 29 हजार कर दिया गया। 29 हजार भी मान लें तो यह भी अनर्थ जैसी स्थिति ही है केदारनाथ के लिए। 2023 में भी कपाट खुलने के दिन केदारनाथ में कैपेसिटी ने ज्यादा भीड़ थी, लेकिन इस भीड़ में करीब 18 हजार लोग ही थे। पहले दो दिन की बात करें तो 2023 में केदारनाथ में पहले दो दिन में 31 हजार 827 लोग पहुंचे थे और इस बार पहले दो दिन में पहुंचे 51 हजार 629 लोग। अब आप अंदाजा लगाइये कि क्या हालात होंगे वहां?
केदारनाथ की इस भीड़ का असर दूसरे धामों पर भी हो रहा है। 10 मई को केदारनाथ के साथ गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट भी खुले थे, लेकिन उस दिन ऐसी भीड़ सिर्फ केदारनाथ में ही दिखाई दी। दो दिन बाद यानी 12 मई को यमुनोत्री में ऐसी भीड़ नजर आई। यहां पैदल मार्ग 4 घंटे जाम रहा। प्रशासन को और लोेगों के आने पर पाबंदी लगानी पड़ी। ऐसा लगता है केदारनाथ की भीड़ में मौजूद हाई गाइज टाइप के यूट्यूबरों और रीलबाजों ने केदारनाथ के बाद यमुनोत्री का रुख किया होगा। ये तस्वीर यमुनोत्री पैदल मार्ग ही है।
यूट्यूबर और रीलबाज वहां जाकर क्या कर रहे हैं? एक रीलबाज कह रहा था कि केदारनाथ में रहने की दिक्कत हो सकती है। अपना टैंट लेकर आओ और जितने दिन चाहो वहां रहो। ऐसे रीलबाजों को मेरी सलाह है कि घर से शौच और अपने दूसरे कचरे को रखने का बर्तन भी लेकर आने को कहें और लौटते हुए अपने साथ वापस लाएं।
केदारनाथ को लेकर एक बात जो मीडिया में नहीं दिखी, किसी कोने में लगी हो तो पता नहीं। कपाट खुलने के दिन केदारनाथ में व्यावसायियों और होटल मालिकों ने पूरी तरह से बंद रखा था। सरकार के साथ चल रही खट-पट के कारण। रात को जिन लोगों को कमरे दिये गये थे, वे सुबह खाली करवा दिये गयेे। खाने तक के लिए कुछ नहीं था। कुछ लंगर इन दिनों केदारनाथ में चल रहे हैं, जिनसे लोगों को खाना मिल पाया। इन लंगरों में खाना खाने के लिए लंबी-लंबी लाइने लगी। हो क्या रहा है कि धामों में जो भीड़ पहुंच रही है, उसे राज्य सरकार अपनी उपलब्धि बताती है और मीडिया से अपनी पीठ ठुंकवाती है। लेकिन इस तरह की अव्यवस्थाएं और हड़ताल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देती हैं, ऐसे में मीडिया मौन साध लेता है।
चारों धामों में इस व्यवस्था को लेकर मैंने यूट्यूब और एक्स पर पूछा था कि धामों में बेशुमार भीड़ की वजह क्या सचमुच भक्ति भावना है। एक्स पर 71 लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया। 8 प्रतिशत ने हां और 92 प्रतिशत ने नहीं में जवाब दिया। यूट्यूब पर 96 लोगों ने हिस्सा लिया। 23 प्रतिशत का जवाब हां और 77 प्रतिशत का नहीं में था।