एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की हेट क्राइम रिपोर्ट
त्रिलोचन भट्ट
बात तो पंचायत चुनाव के बाद की स्थिति पर होनी चाहिए थी। सब जीत का दावा कर रहे हैं और आंकडे बता रहे हैं। सब जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष बनने का जंत जुगाड़ कर रहे हैं। याने कि हॉर्स ट्रेडिंग हो रही है। लेकिन इस बीच एक और खबर आई है। हम देशभर में चौथे नंबर पर आ गये हैं और ऐसे ही प्रयास होते रहे तो जल्दी ही पहले नंबर पर आ जाएंगे। इस उपलब्धि में हमारे मुखिया जी का बडा योगदान रहा है। एसोसिएशन फॉर प्रोटेेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की रिपोर्ट कहती है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बाद उत्तराखंड चौथे नंबर पर है। नफरत फैलाने में। नफरत हेट क्राइम और हेट स्पीच के जरिये फैलाई गई।
पहले बात नफरत में चौथा स्थान हासिल करने की कर लेते हैं, फिर गधा रखीदी पर भी एक नजर डालेंगे। हाल में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑॅॅफ सिविल राइट्स यानी ए पी सी आर की हेट क्राइम रिपोर्ट जारी की गई है। यह रिपोर्ट मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की तीसरी सरकार के पहले साल यानी 7 जून 2024 से 6 जून 2025 तक देशभर में हुई नफरत की घटनाओं पर आधारित है। रिपोर्ट पर आधारित अखर शेरविन्द का एक विस्तृत लेख देहरादून से प्रकाशित होने वाली लोकप्रिय और विश्वसनीय पत्रिका युगवाणी में भी प्रकाशित हुआ है। संभव हो तो पढ़ियेगा।
रिपोर्ट कहती है कि इस एक साल के दौरान 217 घृणा अपराधों यानी हेट क्राइम के साथ उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है। 101 हेट क्राइम के साथ महाराष्ट्र दूसरे और 100 मामलों के साथ मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। और चौथा नंबर है अपनी देवभूमि उत्तराखंड का। 84 मामलों के साथ चौथा स्थान। वह भी तब, जब उत्तराखंड इन तीन राज्यों से आबादी और क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत छोटा है। इस आधार पर हम प्रथम होने का गौरव भी महसूस कर सकते हैं। रिपोर्ट में नफरती बयानों यानी हेट स्पीच का अलग से आकलन किया गया है। उत्तराखंड ने हेच स्पीच में कुछ और सुधार किया है और तीसरा स्थान हासिल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक जून 2024 से जून 2025 तक उत्तर प्रदेश में 55 हेट स्पीच हुई। महाराष्ट्र और झारखंड में 41-41 और उत्तराखंड में 39 नफरती भाषण सामने आए।
हेट स्पीच के मामले में एक और बड़ी खास बात रिपोर्ट ने उजागर की है। जरा ये ग्राफ देखिए। जनवरी 2025 में उत्तराखंड में हेट स्पीच का ग्राफ अचानक तेजी से चढ़ जाता है। आपको याद है जनवरी में क्या हुआ था। नगर निकायों के चुनाव हुए थे। इस महीने में उत्तराखंड में हेट स्पीच के 17 मामले सामने आये। और सूचित हो कि इनमें से 14 नफरती भाषण खुद इस राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने दिये थे।
रिपोर्ट में लिखा है साफ- साफ। वही पुष्कर सिंह धामी जो पंथ निरपेक्ष व्यवस्था वाले भारतीय संविधान की शपथ लेकर इस पद पर विराजमान हैं। और सुनिये, दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी कुछ नफरती भाषण सामने आये, उनमें भी धामी जी का योगदान ठीक-ठाक रहा। यानी कि उत्तराखंड से दिल्ली तक नफरत फैलाने के प्रयास में धामी जी का योगदान स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र में भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में कुल 947 नफरती घटनाएं हुईं। इनमें 345 हेट स्पीच थे और 602 हेट क्राइम। 173 मामलों में अल्पसंख्यकों पर शारीरिक हिंसा हुई और 25 पीड़ितों की मौत हो गई। सभी पीड़ित मुसलमान थे। इन घटनाओं में 25 हिंदू भी प्रभावित हुए, हालांकि हिन्दू हेट क्राइम के मुख्य पीड़ित या लक्ष्य नहीं थे, घटनास्थल पर उनकी उपस्थिति के कारण उन्हें नुकसान पहुंचा। हिंदू महिलाएं हिंदू पुरुषों की तुलना में ज्यादा प्रभावित हुई।
345 हेट स्पीच में से 178 भाजपा से जुड़े लोगों ने दिए। यही नही,ं भाजपा शासित या उन राज्यों में जहां चुनाव चल रहे थे, वहां हेट क्राइम की घटनाएं ज्यादा हुईं हैं। पहले माना जाता था कि हेट क्राइम में उछाल केवल संसद और विधान सभा के चुनावों के दौरान ही आता है। लेकिन, रिपोर्ट बताती है कि स्थानीय चुनाव भी हेट क्राइम की घटनाओं के केंद्र बन सकते हैं, विशेष रूप से हेट स्पीच, जैसा कि उत्तराखंड में शहरी निकाय के चुनाव के दौरान सामने आया।
7 जून 2024 से 6 जून 2025 तक सबसे ज्यादा संख्या में हेट क्राइम वाले पांच राज्यों में से चार भाजपा शासित हैं और पांचवां 23 नवंबर 2024 के बाद भाजपा शासित बन गया था। जरा ये ग्राफ देखिए- हेट स्पीच के 345 मामले दर्ज हुए। सबसे ज्यादा 109 हेट स्पीच बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों की ओर से आये। 71 हेट स्पीच चुने हुए जन प्रतिनिधियों ने दिये, 63 मुख्यमंत्रियों ने और 42 धर्म गुरुओं ने दिये।
रिपोर्ट में जिक्र है कि देश में कई जगह अल्पसंख्यकों के विरुद्ध समन्वित अभियान चलते दिखे। मुस्लिम-स्वामित्व वाले व्यवसायों के आर्थिक बहिष्कार की वकालत करने वाली मुहिम भी चली तो नवरात्रि के दिनों डांडिया व गरबा जैसे सार्वजनिक समारोहो में अल्पसंख्यकों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया। धार्मिक जुलूस, त्योहार, शाकाहारी भोजन, स्थानीय आपराधिक घटनाओं में दूसरे समुदाय के व्यक्ति के शामिल होने पर हुड़दंग, दो समुदायों के बीच अंतरधार्मिक विवाह, धर्मांतरण के आरोप, गोरक्षा, नमाज पढ़ने या ईसाइयों की प्रार्थना सभा में बाधा डालने जैसे कृत्य भी हुए। रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठिए, जिहाद की साजिश और आरक्षण का कुप्रचार भी मुद्दे बने। यही नहीं विवादित पूजा स्थल, वक्फ बोर्ड और औरंगजेब के मकबरे का कुप्रचार भी मुद्दे थे। कई घटनाओं में, ईसाइयों को प्रार्थना सभाएं करने से रोका गया। प्रतिरोध करने पर उन पर हमले हुए। चर्चों में तोड़फोड़ हुई। मुसलमानों के खिलाफ घृणा अपराधों में दरगाहों सहित पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया मुस्लिम घरों व अन्य संपत्तियों पर भी हमले हुए।
एक खास बात इस तरह की रिपोर्ट आती हैं तो बीजेपी और उससे जुड़े लोग एक झटके में कह देते हैं कि ये भारत को बदनाम करने की साजिश है। लेकिन आपके-हमारे ये कहने से कुछ होता नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यही रिपोर्ट हमारी छवि को बनाती और बिगाड़ती हैं। ये याद रखा जाना चाहिए।
अब जरा पंचायत चुनावों के बाद की स्थिति की बात करें। बीजेपी ने विजय जुलूस निकाल दिया, कांग्रेस ने भी मिठाइयां बांट दी। जरा ये ग्राफ देखिए। बीजेपी की ओर से जारी किये गये इस ग्राफ में बीजेपी ने अपने जीते हुए सदस्यों की संख्या दोगुनी बताई है। ये आंकड़ा चुनावों का बेशक न हो, पर बीजेपी का यही आंकड़ा है। निर्दलियों की खरीद-फरोख्त में कांग्रेस मात खा जाएगी, क्योंकि इतना पैसा है नहीं कांग्रेस के पल्ले। बीजेपी जितना मर्जी पैसा उड़ा सकती है। बल्कि उड़ा रही है। वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा नें अपनी फेस बुक वाल पर जिला, क्षेत्र पंचायत सदस्य उठान और रखरखाव विधि लिख मारी है। हॉर्स ट्रेडिंग, जिसे में गधा खरीद व्यवस्था कहता हूं, उस पर करारा तंज है। आप उनके फेसबुक पेज पर जाकर पढ़ सकते हैं।
31 जुलाई को आप देख ही चुके हैं, कैसे चुनी हुई क्षेत्र पंचायत सदस्य के पति के साथ खींच तान हो रही है, अपने खेमे में ले जाने के लिए। वैसे यह वीडियो हॉर्स ट्रेडिंग के साथ इस तरफ भी संकेत करता है कि इस राज्य में पंचायतों में महिला आरक्षण के बावजूद किस तरह चुनी गई महिलाओं के पति ही सर्वेसर्वा हैं।