उत्तराखंड में अशांति से किसे लाभ!

त्रिलोचन भट्ट

 

प्रयोग लगातार चल रहे हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सुदूर धारचूला में और हल्द्वानी में भी। इधर देहरादून में एक घर में काम करने वाली 15 साल की नाबालिग को आत्महत्या के लिए विवश किया गया, पर यह शायद संयोग है, इसलिए तथाकथित धर्मरक्षक टोला मौन है। अंकिता भंडारी के माता-पिता श्रीनगर में अनशन कर रहे हैं, इस सनातनी बेटी को न्याय दिलाने की इच्छाशक्ति तथाकथित सनातनियों में नहीं रह गई है।

बात धारचूला से शुरू करें। आरोप है कि नाई की दुकान चलाने वाला एक व्यक्ति दो सगी नाबालिग बहनों को बहला फुसलाकर बरेली ले गया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। लेकिन इस इलाके के लोगों की या कहें कि एक खास पार्टी से जुड़े लोगों की मांग है कि धारचूला में जो बाहरी व्यापारी हैं, वे धारचूला छोड़ दें। यह चेतावनी मुख्य रूप से किसके लिए है, ये बताने की जरूरत नहीं है। ठीक पुरोला जैसी चेतावनी है। इसमें संदेह नहीं है कि अपराध हुआ है। अपराधी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनीं चाहिए, जो हो भी रही है, लेकिन ये क्या बात हुई कि एक ने अपराध किया तो उसके समुदाय से जुड़े सभी लोग धारचूला छोड़ दें। यह दरअसल एक और प्रयोग है। पुरोला और धारचूला में फर्क ये है कि पुरोला में किसी पार्टी के लोग सामने नहीं आये थे। एक तथाकथित स्वामी को आगे कर दिया गया था। लेकिन धारचूला में पार्टी की ओर से खुला खेल खेला जा रहा है। विपक्षी पार्टी के विधायक का पुतला भी फूंका गया।

 

इससे पहले हल्द्वानी के बनभूलपुरा में प्रयोग हो चुका है और यहां इस तरह के प्रयोगों का सिलसिला लगातार जारी है। घटना हुए तीन हफ्ते बीत गये हैं, लेकिन कठगरिया से लेकर कमलुआगांजा और उनसे लगते इलाकों को एक समुदाय के लोगों को दुकानें नहंी खोलने दी जा रही हैं। जैसे ही इस समुदाय के लोग दुकान खोलते हैं, नारे लगाती उपद्रवियों की भीड़ पहुंच जाती है और उनकी दुकानें बंद करवा दी जाती है। कुछ दुकानों को आग लगा दी गई है। इन घटनाओं के बारे में नैनीताल के एसएसपी और ंराज्य के डीजीपी तक को सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों की ओर से बताया जा चुका है। भीड़ की अगुवाई करने वालों के नाम भी बता दिये गये हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। राज्य के सबसे प्रमुख महिला संगठन उत्तराखंड महिला मंच ने भी डीजीपी को एक पत्र लिखा है और बनभूलपुरा में अवैधानिक तरीके से महिलाओं की गिरफ्तारी पर नाराजगी जताई है। आरोप है कि सत्ता की ओर से भी अतिक्रमण के नाम पर लोगों को डराया धमकाया जा रहा है। यह मामला विधानसभा में भी उठाया जा चुका है।

क्रोनोलॉजी समझनी है तो दो और घटनाओं पर ध्यान देना होगा। एक घटना देहरादून की है। एक परिवार में घर का काम करने वाली 15 वर्षीय नाबालिग को कथित रूप से इतना प्रताड़ित किया गया कि उसने आत्महत्या कर ली। इस मामले में कांग्रेस ने विधानसभा में हंगामा किया। लेकिन खुद को धर्मरक्षक बताने वाले कहीं नजर नहीं आये। दरअसल आरोपी की नाम से पहचान हो गई और वह धर्मरक्षक समुदाय का ही निकला। मरने वाली बच्ची पास की ही झुग्गी बस्ती में अपने परिवार के साथ रहती थी। आरोप है कि उसे पीटा गया और रात को घर नहीं जाने दिया। सुबह किसी तरह वह छिपकर घर पहुंची, लेकिन मालिक परिवार ने नौकर को भेज दिया। वह उसे घसीटते हुए वापस मालिक के फ्लैट में ले गया। फिर उसके साथ क्या कुछ किया गया, कौन जाने। बाद में नाबालिग का शव ही परिवार को मिल पाया।

 

अंकिता भंडारी के माता-पिता इन दिनों श्रीनगर में धरने पर बैठे हुए हैं। कई अन्य लोग भी उनके समर्थन में धरना दे रहे हैं। लेकिन धर्मरक्षक समुदाय यहां भी दूरी बनाये हुए है। डेढ़ साल से मांग की जा रही है कि उस वीआईपी का नाम बताया जाये जिसे स्पेशल सेवाएं देने के लिए अंकिता को बाध्य किया जा रहा था और मना करने पर उसकी हत्या कर दी गई। लेकिन बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बहुत हुआ नारी पर वार जैसे नारे देने वाले इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं और तो और इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी सरकार ने ठुकरा दी और हाई कोर्ट ने भी इस तरह की जांच को जरूरी नहीं समझा। श्रीनगर में धरना लगातार जारी है।

 

जाते-जाते दो जरूरी खबरें। एक तो यह कि अपनी जान जोखिम में डालकर सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 लोगों की जान बचाने वाले रैट होल माइनर्स में से एक वकील हसन के घर को केन्द्र सरकार के अंतर्गत काम करने वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए ने तोड़ दिया है और दूसरी सह कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देश के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में 61वां स्थान मिला है। बधाइयों का सिलसिला रुकना नहीं चाहिए। बधाई से याद आया। जनपक्षीय पत्रकारिता के लिए मुझे कॉमरेड बच्चीराम कौंसवाल समृति सम्मान प्राप्त हुआ है। आप चाहें तो मुझे भी बधाई दे सकते हैं।

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