400 पार: क्यों चाहिए? कहां से मिलेंगी?

त्रिलोचन भट्ट

बकी बार 400 पार। ये नारा खूब उछाला जा रहा है। पर कैसे? इस वीडियो में हम जानने की कोशिश करेंगे कि क्या है 400 पार को असली मतलब और क्या है इसका गणित। इस मतलब और गणित को समझने की जरूरत है।

सोचने वाली बात ये है कि आपको 400 पार क्यों चाहिए? फुल मैजॉरिटी की सरकार तो 272 सीट में ही बन जाती है। पर आप 400 पार की रट लगाये हुए हैं। हमें इस नारे का असली मतलब समझने की जरूरत है। यदि हम इस नारे का असली मतलब आज नहीं समझ पाये तो बहुत देर हो जाएगी और हाथ मलने के अलावा हमारे पास कुछ भी बाकी नहीं रह जाएगा।

चलिए हम टीवी चैनलों और अखबारों में आने वाली बातों को ही सच मान लेते हैं। और स्वीकार कर लेते हैं कि मोदी जी ने बहुत कुछ किया है। टीवी कैमरों पर हम ऐसे लोगों को हर रोज देखते हैं, जो कहते हैं कि मोदी जी ने बहुत कुछ किया है। हालांकि उन्हें तीन काम पूछो तो धारा 370 और राम मंदिर के अलावा उनके पास कोई जवाब होता नहीं। ठीक है। मोदी जी ने बहुत काम किया। डंका भी बजवा दिया। उन्हें फिर से प्रधानमंत्री होना ही चाहिए। पर बात फिर वही कि 272 सीट लेकर वे प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो फिर 400 पार क्यों चाहिए भई? क्या आपने कभी सोचा इस बारे में?

मौजूदा लोकसभा में बीजेपी, बल्कि एनडीए के 353 सांसद हैं। यह एक बड़ा बहुमत है। सरकार कोई भी कानून बना सकती है। फिर भी संसद में विपक्ष मौजूद हो तो विरोध के स्वर सुनाई देते हैं। बावजूद इसके पूर्ण बहुमत है तो कानून तो सरकार पास करवा ही देगी। पर मौजूदा निजाम को असहमति से बेहद नफरत है, जो कि स्वस्थ लोकतंत्र का सबसे जरूरी हिस्सा है। इसी नफरत के चलते पिछले साल दिसंबर में सरकार ने 141 विपक्षी सांसदों को निलंबित करवाकर कुछ कानून पास करवाये थे। इसमें अपराध संहिता में कई गैर जरूरी बदलाव भी शामिल हैं। ये बदलाव इस साल जुलाई से लागू हो जाने हैं। अधिसूचना जारी हो चुकी है।

एक नजर इन बदलावों पर डालते हैं। हम कहते हैं कि वो तो बड़ा 420 आदमी है। इसकी वजह इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय अपराध संहिता की धारा 420 है जो ठगी और जालसाजी से संबंधित है। अब यह धारा बदलकर 316 हो गई है। यानी मुहावरा बन चुके चार सौ बीसी को हमें अब तीन सौ सोलही कहना होगा। इसी तरह हत्या के मामले में धारा 302 लगती थी, जो अब 109 हो जाएगी। धारा 144 अब धारा 187 कही जाएगी।

दरअसल 400 पार का नारा यहीं से निकलता है। विपक्ष मजबूत होगा तो विरोध भी होगा। विरोध के सारे रास्ते बंद हो जाएं और संसद में असहमति की जगह पूरी तरह खत्म हो जाए, इसके लिए 141 सांसदों को निलंबित न करना पड़ें, क्योंकि इससे दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाता, दो-चार को निलंबित करके असहमति को कुचला जा सके, ऐसी व्यवस्था सरकार चाहती है।
400 पार का एक और मतलब भी है। सुप्रीम कोर्ट से हमें बड़ी उम्मीदें रहती हैं। नरेन्द्र मोदी अपनी 343 की संख्या के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को अध्यादेश के जरिये पलट चुके हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के मामले में हम देख चुके हैं। जब संख्या चार सौ पार हो तो वे क्यों सुप्रीम कोर्ट की मानेंगे? यानी 400 पार के बाद सुप्रीम कोर्ट सिर्फ नाममात्र का रह जाएगा।

400 पार की तीसरा मतलब सबसे ज्यादा खतरनाक है। हाल के दिनों में हम लगातार संविधान बदलने की बात सुनते आ रहे हैं। हम कह सकते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है, या ऐसा तो हो ही नहीं सकता। लेकिन, 400 पार का नारा कुछ तो ध्वनित जरूर कर रहा है। संविधान बदलने के लिए सबसे पहले लोकसभा में दो तिहाई बहुमत चाहिए। कहीं न कहीं 400 पार का यह भी एक मकसद हो सकता है। हालांकि उसके बाद भी राज्य सभा और राज्यों की विधानसभाओं में ऐसा प्रस्ताव पारित करवाना होगा। लेकिन लोक सभा में पास करवाते ही एक बड़ा मैसेज तो दिया ही जा सकता है। उसके बाद तो राज्य सभा और राज्यों की विधानसभाएं भी मैनेज हो ही जाएंगी, हमें लगता है कहीं न कहीं ऐसा इरादा जरूर है।

अब जरा 400 पार गणित की बात कर लेेते हैं। ये सीट आएंगी कहां से? जहां से सीटें आ सकती थी वहां से तो अधिकतम सीट 2019 में आप ले चुके हैं। वह भी तब जब पुलवामा में 40 सैनिकों की हत्या को आपने चुनावी हथियार बना लिया था, वोटर्स का एक बड़ा हिस्सा भावनाओं में बह गया था। यह बात अलग है कि जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बार-बार आरोप लगाने के बाद भी उस घटना के कारणों का खुलासा आपने नहीं किया है। इस बार पुलवामा जैसा कोई मुद्दा आपके पास है नहीं। 2019 में विपक्षी पार्टियां अलग-अलग लड़ रही थी और आपको फायदा हो रहा था। इस बार ज्यादातर विपक्षी पार्टियां इंडिया अलायंस के बैनर तले एकजुट हैं और यह गठबंधन लगातार मजबूत होता नजर आ रहा है। साउथ ने आपका रास्ता लगभग बंद कर दिया है। नॉर्थ ईस्ट में 2019 की तुलना में आपकी स्वीकार्यता कमजोर हुई है। यूपी में भी कहीं न कहीं सेंध लग रही है। दिल्ली में बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। हरियाणा में आपके मौजूदा सांसद इस्तीफा देकर कांग्रेस में जा रहे हैं। पंजाब में आपका नामोनिशान नहीं है। गुजरात और महाराष्ट्र में आपका रास्ता 2019 जैसा आसान नहीं है। आपने राम मंदिर को 2024 का पुलवामा बनाने का प्रयास किया, पुलवामा बनाने का मेरा मतलब इसे चुनावी मुद्दा बनाने के प्रयास से है, लेकिन इसमें आप फ्लॉप हो गये।

तो भैया बताइये तो सही ये 400 पार कहां से लाएंगे? इस सवाल के जवाब की एक छोटी सी झलक तो चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे में मिल ही जाती है। अरुण गोयल आपके आदमी हैं। आईएएस से इस्तीफा दिलाकर आपने आनन-फानन में उन्हें चुनाव आयुक्त बनाया था। तो अचानक उनके इस्तीफ को लेकर आशंका होना लाजमी है। ईवीएम… मैं नहीं कहता कि आप ईवीएम में गड़बड़ी करते हैं, लेकिन देशभर में इस मुद्दे पर आंदोलन तो चल ही रहा है। हवा बनाने के लिए आप आप सुधीर पचौरी, करतार भडाना और मनीष खंडूड़ी जैसे बिना जनाधार वाले लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करके मीडिया में वाहवाही करवा रहे हैं। ऐसे में 400 पार के नारे में शक होना स्वाभाविक है। यह सवाल भी स्वाभाविक है ये 400 पार क्यों चाहिए और कहां से आएंगी? आप भी सोचिए जरूर इस बारे में।

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